पंकज कुमार पाण्डेय, नई दिल्ली। ‘डूबते को तिनके का सहारा काफी होता है।’ यूपीए की अगुवाई कर रही कांग्रेस को अब बचे हुए चंद साथी दलों का ही
है। उसके साथ अब सिर्फ मजबूरी के साथी ही नजर आ रहे हैं। पार्टी नेता खुद
मानते हैं कि गठबंधन का लक्ष्य सरकार बनाने से ज्यादा मोदी का रथ रोकना हो
गया है।
कांग्रेस महासचिव गुरदास कामत ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोका जाए क्योंकि हमें देश के सेकुलर ढांचे की चिंता है।’ हालांकि सेकुलर खेमे की सियासत भी इस चुनाव में बहुत काम नहीं कर पा रही है। पासवान का जाना यूपीए को बहुत अखरा। कांग्रेस महासचिव शकील अहमद मानते हैं कि इससे सेकुलर राजनीति को बड़ा धक्का लगा।
आगे की स्लाइड्स पर क्लिक कीजिए और जानिए भाजपा/एनडीए की क्या स्थिति है
कांग्रेस महासचिव गुरदास कामत ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोका जाए क्योंकि हमें देश के सेकुलर ढांचे की चिंता है।’ हालांकि सेकुलर खेमे की सियासत भी इस चुनाव में बहुत काम नहीं कर पा रही है। पासवान का जाना यूपीए को बहुत अखरा। कांग्रेस महासचिव शकील अहमद मानते हैं कि इससे सेकुलर राजनीति को बड़ा धक्का लगा।
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